बंटवारा October 31, 2016 आठ साल से दिवाली में ज़िक्र न आया । बंटवारे ने खींच, बेटों को घर बुलवाया ॥ Read more
जब बारिश की बूंदों से... August 18, 2016 हर्ज़ ही क्या है दो पल मुस्कराने में? जब दुनिया खिलखिलाये तो! Read more
"अकेला दीवाना" August 15, 2016 "स्वर्ण कलश ज़हरीला है, मिटटी के अंदर पानी है, प्यास बुझाने रेगिस्तान में जाना तो नादानी है!" Read more
अज़ान July 18, 2016 'पास वाली मस्जिद से, रोज़ सुबह चार बजे निकल कर अज़ान, सीधे मुझको जगाने आती थी।' Read more
वज़ूद, दोष और बहाने June 17, 2016 वज़ूद, दोष और बहाने, तीनो हैं मेरे सिरहाने आंसू किस पर बहाऊँ ? Read more
ईमारत June 15, 2016 चार मंजिला ईमारत की छत के एक सिरे पे, टूटे हुए कवेलुओं के टुकड़ों को, एक दूसरे के ऊपर हौले हौले जमाकर मैंने एक और ईमारत बनाई है। Read more