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Showing posts from 2016

बंटवारा

आठ साल से दिवाली में ज़िक्र न आया । बंटवारे ने खींच, बेटों को घर बुलवाया ॥

अज़ान

'पास वाली मस्जिद से, रोज़ सुबह चार बजे निकल कर अज़ान, सीधे मुझको जगाने आती थी।'

ईमारत

चार मंजिला ईमारत की छत के एक सिरे पे, टूटे हुए कवेलुओं के टुकड़ों को, एक दूसरे के ऊपर हौले हौले जमाकर मैंने एक और ईमारत बनाई है।